triphala churna ke fayde bawasir me
बवासीर

बवासीर से राहत के लिए त्रिफला चूर्ण: फायदे, और सावधानियाँ

बवासीर (पाइल्स) एक आम लेकिन बेहद तकलीफदेह रोग है जिसमें मलद्वार के आसपास नसों में सूजन आ जाती है। इससे बैठने, चलने और शौच जाने में काफी दर्द और जलन होती है। कभी-कभी खून भी आता है।

आयुर्वेद में बवासीर जैसे रोगों का इलाज केवल लक्षणों को दबाने से नहीं, बल्कि उसकी जड़ यानी शरीर के भीतर असंतुलन को ठीक करके किया जाता है। आइये जानते हैं कि त्रिफला चूर्ण इस मामले में कैसे मदद करता है।

त्रिफला चूर्ण क्या होता है?

त्रिफला चूर्ण एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूला है, जो तीन औषधीय फलों – हरड़ (हरितकी), बहेड़ा (विभीतकी) और आंवला (आमलकी) से मिलकर तैयार किया जाता है। इन फलों को पहले अच्छी तरह सुखाया जाता है, फिर समान अनुपात में पीसकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है, जो पाचन, कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं में बेहद लाभकारी माना जाता है।

यह चूर्ण शरीर को अंदर से साफ करता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है और मल त्याग को आसान बनाता है। इसीलिए यह बवासीर में उपयोगी माना जाता है, क्योंकि पाचन और कब्ज से इसका सीधा संबंध होता है।

बवासीर में त्रिफला चूर्ण के फायदे

1. कब्ज से राहत देता है

बवासीर की सबसे आम वजह है पुरानी कब्ज। त्रिफला चूर्ण एक प्राकृतिक पेट साफ करने वाले नुस्खे की तरह काम करता है, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। इससे मलद्वार पर दबाव कम होता है और दर्द व खून आना भी घटता है।

2. सूजन और जलन में आराम देता है

त्रिफला में ऐसे गुण होते हैं जो शरीर की सूजन और जलन को शांत करते हैं। जब बवासीर के कारण मलद्वार के पास सूजन होती है, तब त्रिफला उसे कम करके राहत देता है।

3. आंतों की सफाई करता है

त्रिफला चूर्ण आंतों की सफाई करता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। इससे पाचन सुधरता है और पेट हल्का महसूस होता है।

4. खून आने वाली बवासीर में उपयोगी है

जब बवासीर में खून आता है, तो त्रिफला से मल नरम हो जाता है और खून आना धीरे-धीरे बंद हो सकता है। इससे घाव भी जल्दी भरते हैं।

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त्रिफला चूर्ण के नुकसान – किन बातों का ध्यान रखें?

त्रिफला चूर्ण को हमेशा सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए। जरूरत से ज्यादा लेने पर शरीर कमजोर महसूस कर सकता है। यदि आप डिहाइड्रेशन से जूझ रहे हैं या पहले से ही दस्त की समस्या है, तो त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।

छोटे बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए इसकी खुराक और सेवन की विधि अलग होती है, जिसे किसी जानकार चिकित्सक की सलाह से ही अपनाना चाहिए।

त्रिफला चूर्ण का सेवन कैसे करें?

त्रिफला चूर्ण को लेने का सबसे अच्छा तरीका है – रात को सोने से पहले एक चम्मच त्रिफला गुनगुने पानी के साथ लेना। यदि कब्ज अधिक है, तो इसे गर्म दूध के साथ भी लिया जा सकता है।

ध्यान रहे कि पहली बार सेवन से पहले किसी वैद्य या डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, खासकर यदि कोई अन्य रोग पहले से मौजूद हो।

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त्रिफला के साथ अन्य उपाय जो बवासीर में राहत दें

त्रिफला चूर्ण अकेले भी असरदार है, लेकिन अगर इसे सही खान-पान और जीवनशैली के साथ लिया जाए, तो इसका प्रभाव और भी बेहतर हो सकता है।

कुछ लोग त्रिफला के साथ-साथ प्राकृतिक हर्बल फार्मूला जैसे Dr. Piles’s Free का भी उपयोग करते हैं, जो बवासीर के दर्द, सूजन और खून बहने जैसी समस्याओं में असर दिखाता है। ये दोनों प्राकृतिक उपाय एक-दूसरे को सपोर्ट करते हैं और शरीर पर हल्के तरीके से काम करते हैं, जिससे बिना साइड इफेक्ट के राहत मिलती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्रश्न 1.कब्ज में त्रिफला चूर्ण कैसे खाये?

रात को सोने से पहले या सुबह खाली पेट लें।अगर कब्ज पुरानी है, तो कुछ लोग इसे सुबह खाली पेट भी लेते हैं। लेकिन सामान्यतः रात को लेना ज्यादा फायदेमंद होता है।

प्रश्न 2: क्या त्रिफला चूर्ण हर प्रकार की बवासीर में लाभकारी है?

उत्तर: हां, विशेषकर यदि बवासीर की वजह कब्ज है, तो त्रिफला काफी असरदार होता है।

प्रश्न 3: त्रिफला का असर कितने समय में दिखता है?

उत्तर: कुछ ही दिनों में कब्ज से राहत मिलने लगती है, लेकिन नियमित सेवन जरूरी है।

प्रश्न 4: क्या त्रिफला लंबे समय तक लिया जा सकता है?

उत्तर: सीमित मात्रा में कुछ हफ्तों तक लिया जा सकता है, लेकिन लम्बे समय तक सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

प्रश्न 5: क्या त्रिफला से खून आना बंद हो सकता है?

उत्तर: यदि खून कब्ज के कारण हो रहा है, तो त्रिफला से मल नरम होता है और खून आना धीरे-धीरे कम हो सकता है। 

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