
आंवला: फायदे, नुकसान और उपयोग आयुर्वेद में
शेयर करना
आंवला या इंडियन गूसबेरी (Emblica Officinalis) एक फल देने वाला पौधा है जो मुख्य रूप से भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, चीन, ईरान और पाकिस्तान के क्षेत्रों में पाया जाता है।
आंवले के फल खाने योग्य होते हैं और बेहतरीन पोषण पूरक हैं, जिनमें प्रचुर औषधीय गुण होते हैं। यह भारतीय पारंपरिक चिकित्सा में, विशेषकर आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले सबसे महत्वपूर्ण औषधीय पौधों में से एक है।
आयुर्वेदिक प्रोफ़ाइल
आंवले का आयुर्वेदिक वर्गीकरण |
आंवले के गुण |
रस (स्वाद) |
पंच रस (खट्टा, मीठा, कड़वा, तीखा, कसैला) |
गुण (भौतिक गुणधर्म) |
लघु (हल्का) और रूक्ष (सूखा) |
वीर्य (शक्ति) |
शीत (शीतल) |
विपाक (पाचन के बाद का गुण) |
मधुर (मीठा) |
आयुर्वेद में इसे आमलकी भी कहा जाता है और “मदर” के रूप में संदर्भित किया जाता है क्योंकि यह हर चीज़ को सहारा देती है। इसे रसायन वर्ग में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि इसमें पुनर्स्थापनात्मक गुण होते हैं जो पूरे शरीर और मन को सहारा देते हैं।
इसमें प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C की बहुत अधिक मात्रा होती है। यह विटामिन A और विटामिन E का उत्कृष्ट स्रोत है, साथ ही इसमें आयरन, कैल्शियम और आहार फाइबर भी मौजूद होते हैं। सबसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में से एक मानी जाने वाली यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती है, ऊतकों को पोषण देती है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालती है।
आंवले का स्वाद (रस) मीठा, खट्टा, तीखा और कसैला होता है, लेकिन खट्टा स्वाद अधिक प्रबल होता है।
आयुर्वेद में दावा किया गया है कि यह तीनों दोष - वात, पित्त और कफ को संतुलित करता है, विशेषकर पित्त को शांत करता है।
इसमें छह में से पाँच रस पाए जाते हैं, केवल नमकीन स्वाद नहीं होता। यह पाचन को उत्तेजित करता है, भूख बढ़ाता है और बिना किसी हानि के पित्त दोष को असंतुलित किए बिना जठराग्नि को प्रज्वलित करता है।
इसका वीर्य (शक्ति) शीतल है और विपाक (पाचन के बाद का गुण) मधुर है। इसके कड़वे स्वाद और शीतल प्रकृति के कारण यह पाचन तंत्र से अतिरिक्त पित्त को साफ करने में मदद करता है।
आंवले के 15 वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित स्वास्थ्य लाभ:
1. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
लोग आजकल स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए पहले से अधिक इच्छुक हैं, खासकर कोविड-19 के बाद। आंवला विटामिन C से भरपूर है।
इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इसे सर्दी-जुकाम, पाचन सुधारने, रक्त शर्करा नियंत्रण, त्वचा और बालों की वृद्धि तथा समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है।
2. हृदय रोग से बचाव करता है
आंवले का रस एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है और हृदय रोग के कई पहलुओं को सुधार सकता है।
आंवले का रस या अर्क लेने से कुल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड स्तर को कम किया जा सकता है और साथ ही लिपिड अनुपात का संतुलन बनाए रखा जा सकता है।
आंवले का पाउडर लेने से हृदय की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं जिससे रक्त संचार अधिक प्रभावी होता है।
आंवले के पाउडर में मौजूद क्रोमियम रक्त वाहिकाओं में प्लाक बनने और जमने को कम करता है जिससे हृदयाघात और स्ट्रोक की संभावना घटती है।
आंवले में मौजूद आयरन आसानी से पच जाता है, जिससे नए लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है और अंगों और कोशिकाओं तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है।
3. रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करता है
आंवला शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को नियंत्रित करता है।
इसके अलावा, इंडियन गूसबेरी में क्रोमियम होता है, जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाता है। रक्त शर्करा स्तर को कम करने के लिए इसे कच्चा खाएं या कैंडी के रूप में तैयार करके पैनक्रियास की कोशिकाओं को सक्रिय करें।
यदि आप रक्त शर्करा नियंत्रण और मधुमेह प्रबंधन के लिए हर्बल उपाय ढूंढ रहे हैं, तो हमारे Ministry of Ayush द्वारा अनुमोदित आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन Dr Madhu Amrit को ज़रूर देखें।
आंवला, विजयसार, गिलोय, दालचीनी और एलोवेरा सहित अन्य जड़ी-बूटियों के अर्क से तैयार Dr Madhu Amrit आयुर्वेदिक आहार अनुपूरक आपको रक्त शर्करा नियंत्रण में मदद करता है।
यह इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधारने और अग्न्याशय व यकृत की कार्यक्षमता को मजबूत करने में मदद करता है, जिससे आप मधुमेह को पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं।