आजकल लोगों की जीवनशैली के कारण कई बीमारियां बढ़ रही है जिसमें बवासीर या कब्ज़ जैसी समस्याएं आम होती जा रही है। इन समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक समाधान सबसे उत्तम एवं सुरक्षित तरीकों में आता है।
बवासीर के लिए योग भी एक महत्वपूर्ण उपायों में से एक है। इसके माध्यम से काफी हद तक इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जैसा कि हम जानते हैं, इन समस्याओं से राहत पाने के लिए सही उपचार , पौस्टिक आहार, नियमित व्यायाम, तनाव से मुक्ति, और अच्छी नींद अत्यंत आवश्यक है।
पाइल्स के लिए योगा (piles ke liye yoga) भी इनमें से एक है क्योंकि यह शरीर को लचीला बनाता है और पेट तथा गुदा मार्ग को सक्रिय करके मल त्याग को आसान बनाता है। इस लेख में हम बवासीर के लिए योगा (bawasir ke liye yoga) के कुछ आसान और प्रभावी तरीकों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें आप घर पर आराम से कर सकते हैं।
बवासीर के लिए उपयुक्त 6 आसान योगासन
बवासीर के लिए योग ऐसे उपायों में आता है जो न सिर्फ बवासीर की समस्या को नियंत्रित करने में मदद करेंगे, बल्कि आपका पाचन तंत्र भी बेहतर बनाएंगे। इसे आप घर बैठे आसानी से करके इसका लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
1. पश्चिमोत्तानासन (बैठकर आगे की ओर झुकना)

इस आसन में आप जमीन पर बैठकर अपने पैरों को सामने की ओर फैलाते हैं एवं धीरे-धीरे आगे की और झुककर हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करते हैं जिससे रीढ़ की हड्डी, हैमास्टरिंग और कूल्हों में खिचाव उत्त्पन्न होता है।
यह आपकी पीठ को लचीला बनाता है साथ ही तनाव को कम कर पाचन तंत्र को बेहतर करता है, जिससे कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं में राहत मिल सकती है।
पश्चिमोत्तानासन कैसे करें
- जमीन पर चटाई बिछाकर सीधे बैठ जाएं।
- दोनों पैरों को सामने की ओर सीधा कर के पास-पास रखें।
- अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और गहरी सांस लें।
- अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को आगे की ओर झुकाएं।
- अपने हाथों से पैरों के अंगूठों या जहाँ तक हांथों को पहुंचा पाएं वहां पकड़ें।
- सर घुटनों से लगाने की कोशिश करें और कुछ सेकंड तक इस स्थिति में रहें।
- धीरे-धीरे वापस पहले की स्थिति में आ जाएँ।
सावधानी: यह आसन खाने के तुरंत बाद न करें। भोजन के 4 घंटे बाद ही इसका अभ्यास करें।
2. बद्ध कोणासन (Baddha Konasana/तितली आसन)

बवासीर के लिए योग का यह आसान तरीका बवासीर और फिशर जैसी समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे “मोची आसन” या “तितली आसन” भी कहा जाता है। इस मुद्रा में कूल्हों को खोलने और जांघों की मांसपेशियों को फैलाने में मदद मिलती है। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
बद्ध कोणासन कैसे करें
- सबसे पहले जमीन पर आराम से बैठ जाएं।
- दोनों पैरों को मोड़कर उनके तलवों को आपस में जोड़ें, जैसे तितली के पंख।
- अपनी रीढ़ को सीधा रखें और गहरी सांस लें।
- अब सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे ठुड्डी को छाती की ओर लाएं।
- इसी मुद्रा में बैठकर 10 बार गहरी सांस अंदर और बाहर लें।
इस आसन से पेट की मांसपेशियों पर हल्का दबाव बनता है, जिससे कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।

3. सेतु बंध सर्वांगासन (Bridge Pose / ब्रिज पोज)

जब गुदा क्षेत्र की मांसपेशियाँ ज्यादा सख्त हो जाती हैं, तो मल बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। सेतु बंध सर्वांगासन इस क्षेत्र की मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे मल त्याग आसान हो जाता है। यह पाचन तंत्र को ठीक रखने, रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने और शरीर को रिलैक्स करने में मदद करता है। इसमें थोड़े अभ्यास की जरुरत होती है, लेकिन नियमित रूप से व्यायम करने से बवासीर में काफी आराम मिल सकता है।
सेतु बंध सर्वांगासन कैसे करें
- चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
- दोनों घुटनों को मोड़ें और पैरों को कूल्हों के पास रखें।
- हाथों को शरीर के पास रखें और हथेलियाँ नीचे की ओर हों।
- अब गहरी सांस लेते हुए धीरे-धीरे कमर और पीठ को ऊपर की ओर उठाएं।
- सिर और कंधे ज़मीन पर टिके रहें।
- कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे वापस नीचे आएं और सांस छोड़ें।
इस आसन को रोज़ाना करने से बवासीर और कब्ज की समस्या में राहत मिलती है।
4. अर्ध मत्स्येन्द्रासन (मछलियों का आधा स्वामी आसन)

यह आसन पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और आंतों की सफाई में मदद करता है। आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अपने पाचन तंत्र पर ध्यान नहीं देते, जिससे कब्ज और कठोर मल जैसी समस्याएं हो जाती हैं। अर्ध मत्स्येन्द्रासन शरीर को हल्का मोड़ देता है, जिससे पेट की मालिश होती है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे मल त्याग आसान होता है और बवासीर में राहत मिलती है।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन कैसे करें?
- ज़मीन पर सीधे बैठ जाएं।
- अपने बाएं पैर को मोड़कर अंदर की तरफ रखें।
- दाएं पैर को बाएं घुटने के ऊपर से बाहर की तरफ रखें।
- अब धीरे-धीरे अपने शरीर को दाईं तरफ मोड़ें।
- अपने बाएं हाथ को दाएं घुटने के बाहर रखें और दाहिने हाथ को पीछे ज़मीन पर टिकाएं।
- कुछ समय तक इस मुद्रा में रहें, फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ जाएं।
यह आसन पाचन तंत्र को एक्टिव करता है और बवासीर जैसी समस्याओं में मदद करता है।
5. बवासीर के लिए बाल मुद्रा (बालासन)

बवासीर के लिए योग में बालासन एक आराम देने वाली योग मुद्रा है, जो शरीर को शांति और राहत देती है। यह बवासीर की तकलीफ, जैसे सूजन, जलन, और दर्द को कम करने में मदद कर सकती है। यह मुद्रा जांघों, कमर और पीठ की मांसपेशियों को भी आराम देती है। इसे करने से शरीर में तनाव कम होता है और आप हल्का महसूस करते हैं। यह वही स्थिति होती है जैसे मंदिर में भगवान के सामने झुकते हैं।
बालासन कैसे करें
- ज़मीन पर वज्रासन में बैठ जाएं (घुटनों के बल)।
- अब धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और अपने माथे को ज़मीन से छूने दें।
- अपने दोनों हाथों को सामने की ओर सीधा फैलाएं या शरीर के पास रखें।
- कुछ सेकंड या एक मिनट तक इसी मुद्रा में रहें।
- फिर धीरे-धीरे वापस सामान्य स्थिति में आ जाएं।
- इस आसन को 2-3 बार दोहराएं।
यह आसन बवासीर से राहत देने के साथ-साथ मानसिक तनाव को भी कम करता है।
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6. विपरिता करणी (पैर ऊपर की ओर दीवार से टेककर मुद्रा)

विपरिता करणी, जिसे “लेग्स अप द वॉल पोज़” भी कहा जाता है, बवासीर के लिए एक सरल लेकिन असरदार योग मुद्रा है। इस आसन में जब आप अपने पैरों को दीवार के सहारे ऊपर रखते हैं, तो इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और पाचन भी ठीक रहता है। यह मुद्रा शरीर को आराम देती है, दिमाग को शांत करती है और फिशर जैसी दिक्कतों में भी राहत पहुंचाती है।
विपरिता करणी कैसे करें
- सबसे पहले ज़मीन पर पीठ के बल लेट जाएं।
- अपने पैरों को दीवार के सहारे ऊपर की ओर सीधा टिकाएं।
- हाथों को आराम से शरीर के पास रखें।
- इस मुद्रा में कम से कम 5 मिनट तक रहें।
- चाहें तो धीरे-धीरे इसे 10 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
आप इस योग को रात को सोने से पहले भी कर सकते हैं। यह थके हुए पैरों, सूजन, और जोड़ों के दर्द को कम करने में भी मदद करता है।
निष्कर्ष
किसी भी बीमारी से बचने और स्वस्थ रहने के लिए अच्छी जीवनशैली बहुत जरूरी होती है। योग एक ऐसा आसान और असरदार तरीका है जो शरीर और दिमाग दोनों को स्वस्थ रखता है। खासकर कब्ज और बवासीर जैसी समस्याओं में योग काफी मददगार होता है, क्योंकि यह पेट साफ रखने और गुदा मार्ग से अपशिष्ट को निकालने में मदद करता है।
बवासीर के लिए योग में कुछ आसान योग आसन जैसे – पश्चिमोत्तानासन, बद्ध कोणासन, सेतु बंध सर्वांगासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, बालासन और विपरिता करणी – बवासीर से राहत दिलाने में सहायक हो सकते हैं। ये आसन शरीर को लचीला बनाते हैं, पाचन सुधारते हैं और मल त्याग को आसान बनाते हैं।
इन योग आसनों को किसी योग विशेषज्ञ की मदद से करना सबसे अच्छा होता है, ताकि आप इन्हें सही तरीके से कर सकें और पूरा लाभ मिल सके।